“ एक उम्र बाक़ी है, एक ख़्वाब बाक़ी है, कुछ हो गई है पूरी, कुछ बात बाक़ी है”
आज एक दोस्त को जन्मदिन की बधाई देने पर बढ़ती उम्र के अहसास के साथ उसने शुभकामनाएँ स्वीकार की।
आयु के बारे में अब तक कई विचार जानने को मिलें है- यह एक संख्या है, यह उतनी ही महसूस होती है जितना आप महसूस करना चाहते हैं, उम्र के साथ अनुभव जुड़ते जा रहे हैं, आप ज़्यादा समझदार हो रहे हैं अब आप अपनी बेवक़ूफ़ियों पर हंस सकते हैं आदि आदि ।
उम्र के बारे में ज़्यादा सकारात्मक जानने को नहीं मिला है। अक्सर क़मसीन के ही क़सीदे काढ़े जाते मिले है। यही वजह है उम्र/ वय को वह सम्मान न मिला जिसकी यह अधिकारी है।
ज़्यादा गुनाहगार तो विज्ञापन उधोग है जो दिन रात चिर युवा बने रहने हेतु भ्रमित किए रखता है। जबकि वास्तविकता इससे कोसों दूर है।
क़मसीन दिखने के स्थान पर अच्छे स्वास्थ्य को प्रोत्साहन दिया जाता तो बेहतर होता। वास्तव में वही महत्वपूर्ण है। शायद लोग कहना यही चाह रहे हो पर शब्दों का चयन ग़लत हुआ है। उम्र की अहमियत पर चेहरे का दर्जा हावी होता नजर आया।
सच यह है कि समय के साथ सभी पुराने होते हैं। यह स्वीकार्यता ही जीवन आसान बनाती है। शरीर को मशीन मानें तो गुत्थियाँ सुलझती नज़र आती है। हर मशीन पुरानी होती है।मशीन पर सालाना घिसावट काटी जाती है और अंत में उसे नाकारा घोषित कर दिया जाता है।उसी तरह शरीर भी। महत्वपूर्ण है अपनी उम्र को जीना । और प्रयास रहे उम्र लतीफ़ा न बने ।
वय वंदना के काबिल है। उम्र के साथ ज्ञान व अनुभव का खजाना बढ़ता जाता है। तभी शायद जन्मदिन मनाने का प्रचलन शुरू हुआ होगा। अपने आस पास नई पीढ़ी नई तकनीक से सीखना और ऊर्जा प्राप्त करना जरूरी है ।
हालाँकि उम्र के साथ परिपक्वता नहीं आने पर कई बार अजीबोगरीब परिस्थतियाँ उत्पन्न हो जाती है। सामने वाले की स्थिति असमंजस की हो जाती है कि वह आपके साथ किस तरह का व्यवहार करे। परिपक्वता समय, अनुभव से सीखे व्यवहार के अनुसार स्वयं की प्रस्तुति है। एक घटना के मुताबिक़ एक शख़्स को खेल खेल में लड़को की तरह सम्बोधन करने पर वह बुरा मान गए । सही मायने में उनसे व्यवहार करने वाले का कोई दोष नहीं था। सज्जन कृशकाय थे और वक़्त के छोड़े समस्त निशान उन्होंने छिपा दिए । जिससे उनकी उम्र का सही अंदाजा लगाना मुश्किल हो गया ।
पद्मश्री सम्मानित कत्थक नृत्यांगना कुमुदिनी लाखिया का कहना है कि “उम्र को भूलना है तो बाँटिए , जी भर के बाँटिए -वह चाहे नालेज हो या दिल की बातें । sharing is the most wonderful thing.”
यह उम्र न होती तो मोहनदास कभी गांधी न बनते सम्पूर्ण सिंह कालरा कभी गुलज़ार न बनते ।दादी-नानी के नुस्ख़ों से हमारी रसोई न महकती। … ये उम्र तो बस तजुर्बों की कहानी है…